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Wednesday, April 22, 2020

राग नारायणी का परिचय

वादी: रे
संवादी: 
थाट: KHAMAJ
आरोह: सारेमपधसां
अवरोह: सांनि॒धपमरेसा
पकड़: नि॒धप मपधप मरेमरेसा
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-SHADAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: न्यास - सा रे प। वर्जित - ग, आरोह में निषाद भी वर्जित। यह दुर्गा और सारंग के मिश्रण से बना है। दुर्गा से बचाव - अवरोह में नि॒ एवं नि॒धप मप मरे का प्रयोग। सारंग से बचने - ध का प्रयोग। 

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