थाट - बिलावल जाति - षाडव - सम्पूर्ण
वादी - धैवत संवादी - गंधार
वर्ज्य स्वर - आरोह में म
आरोह - सा, ग रे ग प, ध नि सां
सम्प्रकृति राग - बिलावल
विशेषताये
१. भोर आई गया अन्धियारा - बावर्ची
२. सारे के सारे ग म को लेकर गाते चले - परिचय
वादी - धैवत संवादी - गंधार
वर्ज्य स्वर - आरोह में म
विकृत स्वर - अवरोह में वक्र कोमल नि
आरोह - सा, ग रे ग प, ध नि सां
अवरोह - सां नि ध प, घ नि ध प, म ग म रे सा
पकड़ - ग प ध नि ध प, म ग म रे
समय - दिन का प्रथम प्रहर
पकड़ - ग प ध नि ध प, म ग म रे
समय - दिन का प्रथम प्रहर
सम्प्रकृति राग - बिलावल
विशेषताये
- यह बिलावल का एक प्रकार है
- आरोह-अवरोह दोनों में शुद्ध नि प्रयोग करते हैं.
- कोमल नि केवल अवरोह में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है - सां नि ध प, ध नि ध प
- राग की चलन उत्तरांग में अधिक होती है.
- अवरोह में ग स्वर वक्र प्रयोग होता है, जैसे - म ग म रे
१. भोर आई गया अन्धियारा - बावर्ची
२. सारे के सारे ग म को लेकर गाते चले - परिचय
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