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Thursday, December 5, 2013

Vocal : Third Year

क्रियात्मक परीक्षा १०० अंकों कि तथा शास्त्र का एक प्रश्न-पत्र ५० अंकों का।
पिछले वर्षों सम्पूर्ण पाठ्यक्रम भी इसमें सम्मिलित है।
क्रियात्मक 
१. स्वर-ज्ञान में विशेष उन्नति, तीनों सप्तकों (स्थानों) के शुद्ध और विकृत - स्वरों का समुचित अभ्यास, कठिन स्वर-समूहों को गाना और पहचानना। 
२. अलंकारों को ठाह, दुगुन, तथा चौगुन लयों में गाने का विशेष अभ्यास। 
३. तानपूरा मिलाने का ढंग जानना। 
४. लय-ज्ञान में विशेष उन्नति, दुगुन, तिगुन और चौगुन लयों का अधिक स्पष्ट और पक्का ज्ञान, आडलय का केवल प्रारंभिक परिचय। 
५. गले के कण-स्वरों के प्रयोग का अभ्यास, कुछ विशेष आलंकारिक स्वर-समूहों अथवा खटकों का अभ्यास। 
६. तिलक-कामोद, हमीर, केदार, तिलंग, कलिंगड़ा, पटदीप, जौनपुरी, मालकोश और पीलू में एक-एक छोटा ख्याल आलाप, तान तथा बोल-तान, सहित। 
७.  बागेश्री, आसावरी, वृंदावनी सारंग, भीमपलासी, देश, जौनपुरी, हमीर, केदार, पटदीप, तथा मालकोश - इन १० रागों में से किन्ही ६ रागों में बड़ा-ख्याल-आलाप, तान बोल-तान इत्यादि।
 ८. उक्त रागों में से किन्हीं दो रागों में एक-एक ध्रुपद तथा किसी एक राग में एक धमार-दुगुन, तिगुन, और चौगुन सहित।
९. दीपचंदी, झुमरा, धमार और तिलवाड़ा-तालों के ठेकों को ठाह, दुगुन, तिगुन और चौगुन लयों में बोलना।
१०. राग पहचान में निपुणता।
 शास्त्र 
१. तानपुरे और तबले का पूर्ण विवरण और उनको मिलाने का पूर्ण ज्ञान।  आन्दोलन कि चौड़ाई और उसका नाद के छोटे-बड़ेपन से सम्बंध, २२ श्रुतियों का सात शुद्ध-स्वरों में विभाजन (आधुनिक मत), प्रथम और द्वितीय-वर्ष के कुल पारिभाषिक शब्दों का अधिक पूर्ण और स्पष्ट परिभाषा, थाट और राग के विशेष नियम, श्रुति और नाद में सुक्ष्म भेद, व्यंकटमुखी सा ७२ थाटों सग गणितानुसार रचना और एक थाट से ४८४ रागों कि  उत्पत्ति,स्वर और समय के अनुसार रगों के तीन वर्ग (रे-ध कोमल वाले राग, रे-ध  शुद्ध वाले राग और ग-नि कोमल वाले राग), संधि-प्रकाश राग, गायकों के गुण और अवगुण, तानो के प्रकार (शुद्ध या सरल, कूट, मिश्रा, बोल तान), गमक, आड़, स्थाई। गीत के प्रकार -  बड़ा ख्याल , धमार (होरी), (टप्पा) का विस्तृत वर्णन। 
२. पाठ्यक्रम के रागों का पूर्ण-परिचय, स्वर- विस्तार तथा तान सहित। 
३. इस वर्ष तथा पिछले वर्ष के सभी तालों का पूर्ण परिचय।  उनके ठेकों को दुगुन, तिगुन और चौगुन लयों में ताल - लिपि में लिखना किसी ताल या गीत की दुगुन आदि आरम्भ करने के स्थान को गणित द्वारा निकलने कि रीति। 
४. गीतों का स्वर-लिपि लिखना।  धमार तथा ध्रुपद को दुगुन, तिगुन और चौगुन में लिखना। 
५. कठिन स्वर-समूहों द्वारा राग पहचान। 
६. पाठ्यक्रम के सम प्रकृति रागों कि तुलना। 
७. भातखंडे तथा विष्णु दिगंबर स्वर लिपि पद्धतियों का पूर्ण ज्ञान। 
८. शार्ङ्गदेव तथा स्वामी हरिदास की संक्षिप्त जीवनियाँ  तथा उनकी संगीत कार्यों का परिचय। 

Vocal - Second Year Junior Diploma

क्रियात्मक - परीक्षा १०० अंकों  शाश्त्र का एक प्रश्न-पत्र ५० अंकों का।
द्वितीय वर्ष के परीक्षा में प्रथम वर्ष का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है।
क्रियात्मक 
१. स्वर-ज्ञान-शुद्ध, कोमल तथा तीव्र-स्वरों का गाने और पहचानने काविशेष ज्ञान।  प्रथम-वर्ष कि अपेक्षा कठिन स्वर - समूहों का गाने और पहचानने का अभ्यास। 
२. लय ज्ञान- ठाह दुगुन और चौगुन लयों को  अथवा स्वरों कि सहायता से दिखाना। 
३. प्रथम-वर्ष कि अपेक्षा कुछ कठिन अन्य अलंकारों को विलम्बित, मध्य और द्रुत-लयों में सरगम और आकर में गाने का विशेष अभ्यास। 
४.  बागेश्री, दुर्गा, आसावरी, भैरवी, वृंदावनी-सारंग, भीम-पलासी और देश रागों में मध्यलय के छोटे-ख्याल साधारण तालों सहित गाने का अभ्यास। 
५. पाठ्यक्रम के किसी दो रगों में दो ध्रुपद।  प्रत्येक ध्रुपद कि स्थाई और अंतरे को दुगुन और चौगुन लयों में गाने का अभ्यास। 
६. यमन, बिहाग, और अल्हैया-बिलावल, में एक-एक विलम्बित-ख्याल स्वर-विस्तार तथा तालों सहित गाने का अभ्यास। 
७. छोटे- ख्यालों में अपने मन से आलाप और सरल-तान लेकर तबले से मिलाना। 
८. एकताल, रुपक , तिवरा , झपताल और सूल तालों को ठाह , दुगुन और चौगुन लयों में ताली देकर बोलना। 
९. राग पहचान। 
शाश्त्र 
१. निम्नलिखित सरल विषयों तथा पारिभाषिक शब्दों का साधारण ज्ञान- ध्वनि, ध्वनि कि उत्पत्ति, कम्पन्न, आन्दोलन (नियमित-अनियमित, स्थिर-अस्थिर आंदोलन), आन्दोलन - संख्या, नाद कि तीन विशेषताएं, नाद, कि उच्च - नीचता का आंदोलन-संख्या से सम्बंध, नाद और श्रुति, गीत के प्रकार-बड़ा-ख्याल, छोटा ख्याल, ध्रुपद तथा लक्षण-गीत के अवयव (स्थाई, अंतरा,  संचारी,आभोग), जनकथाट, जन्यराग, आश्रयराग, ग्रह , अंश, न्यास, वक्र-स्वर, समयसमय और सप्तक का पूर्वांग-उत्तरांग, वादी-स्वर का राग के समय से सम्बंध, पूर्व-उत्तर राग, तिगुन, चौगुन, मीड, कण, स्पर्श-स्वर तथा वक्र स्वर। 
२. प्रथम और द्वितीय वर्ष के रगों का पूर्ण-परिचय एवं उनको थाट, स्वर, आरोह-अवरोह, जाति, पकड़, समय, वर्ज्य स्वर और आलाप तान सहित स्वर लिपि में लिखने का अभ्यास। 
३. दोनों वर्ष के तालों के ठेकों कि मात्रा, ताली, खाली, सम, विभाग आदि दिखाते हुए दुगुन तथा चौगुन लयों कि ताल-लिपि मं लिखना। 
४. गीतों को विष्णु दिगंबर अथवा भातखंडे स्वर-लिपि में लिखने का ज्ञान। 
५. लिखित स्वर-समूह द्वारा राग पहचानना। 
६. मिलते-रुलते रगों में समता-विभिन्नता बताना। 
७. तानसेन तथा अमीर खुसरों कि संक्षिप्त जीवनी और उनके संगीत कार्यों का परिचय।

Vocal - First Year

क्रियात्मक-परीक्षा १०० अंको कि होगी।  शास्त्र का एक प्रश्न - पत्र ५० अंको का।
क्रियात्मक 
१. स्वर-ज्ञान - ७ शुद्ध और ५ विकृत-स्वरों को गाने और पहचानने का ज्ञान, अधिकतर दो-दो स्वरों के सरल समूहों को गाने और पहचानने का अभ्यास।  शुद्ध-स्वरों का विशेष ज्ञान। 
२. लय-ज्ञान - प्रत्येक मात्रा पर ताली देकर लय कि स्थिरता कि जाँच।  विलम्बित, मध्य, और द्रुत-लयों का साधारण परिचय।  विभिन्न सरल मात्रा विभागों कि शिक्षा जैसे एक मात्रा में आधी-आधी वत्रा के दो अंक (एक, दो) या दो स्वर (सा, रे) बोलते हुए ताली देना।  एक मात्र में चौथाई-चौथाई मात्रा के चार अंक (एक, दो, तीन, चार) या चार स्वर (सा, रे, ग, म) बोलना। 
३. दस सरल अलंकारों का समुचित अभ्यास सरगम और आकार दोनों में एवं विलम्बित तथा मध्य-लयों में। 
४. अल्हैया बिलावल, यमन, खमाज, काफी, बिहाग, भैरव, और भूपाली रागों में एक-एक छोटा-ख्याल कुछ सरल तानों सहित। 
५. इन रागों में साधारण आलाप करने कि क्षमता। गीत गाते समय हाथ से ताल देने का अभ्यास तथा तबले कि साथ गाने का अभ्यास। 
६. तीन-ताल, चार-ताल, दादरा, और कहरवा तालों के ठेकों को ताली देते हुए ठाह तथा दुगुन लयों में बोलना। 
७. मुख्य राग-दर्शक आलापों द्वारा राग पहचान। 
शास्त्र 
१. निम्नलिखित सरल  विषयों तथा पारिभाषिक शब्दों का साधारण प्रारंभिक ज्ञान -
     भारत कि दो संगीत-पद्धतियाँ , ध्वनि ध्वनि कि उत्पत्ति , नाद, नाद-स्थान, श्रुति, स्वर, प्राकृत स्वर, अचल और चल स्वर, शुद्ध और विकृत-स्वर (कोमल व तीव्र), सप्तक (मंद्र , मध्य, तार ), थाट , राग, वर्ण (स्थायी, आरोही-अवरोही, संचारी), अलंकार (पलटा), राग जाती (औडव, षाडव , सम्पूर्ण) वादी, संवादी, अनुवादी, वर्हित स्वर, पकड़ आलाप तान, ख्याल, सरगम, स्थाई, अंतरा, लय (विलम्बित, मध्य, द्रुत), मात्रा, ताल विभाग, सम ताली, खली ठेका, आवर्तन, ठाह तथा दुगुन।
२. इस वर्ष के रगों का परिचय उसके थाट , स्वर, आरोह, अवरोह, जाती, पकड़ वादी, संवादी, वर्ज्य-स्वर, समय तथा कुछ सरल-आलापों सहित लिखना।
३. इस वर्ष के तालों के ठेके (बोल) उनकी मात्रा, विभाग, सम, ताली, खाली सहित ताल लिपि में लिखना।  उनका दुगुना लिखने का भी अभ्यास।
४. विष्णु-दिगंबर अथवा भारत-खण्डे स्वर-लिपि में से किसी एक पद्धति का प्रारंभिक ज्ञान।
५. लिखित सरल स्वर-समूहों द्वारा राग पहचान।
६. विष्णु दिगंबर तथा भातखण्डे की संक्षिप्त जीवनियाँ तथा उनके संगीत कार्यों का संक्षिप्त परिचय।

Vocal - Sangit Praveshika

इसकी क्रियात्मक परीक्षा ७० अंको कि होगी।

१. ७ शुद्ध और ५ विकृत स्वरों को गाने का अभ्यास।
२. अल्हैया   बिलावल, ,यमन , खमाज और भूपाली रागों में एक-एक छोटा ख्याल एवं दो सरल तान।
३. पञ्च सरल अलंकारों का अभ्यास (विलम्बित तथा मध्य-लयों में)
४. दादरा कहरवा में तीनताल के ठेकों को ताली देते हुए ठाह कि लय में बोलना।

शास्त्र मौखिक परीक्षा ३० अंकों की होगी। 

 निम्नलिखित शब्दों कि परिभाषा एवं उनका ज्ञान।
ध्वनि, नाद, स्वर, चल-स्वर, अचल-स्वर, शुद्ध स्वर, एवं विकृत स्वर, आरोह, अवरोह, वादी, संवादी,लय, मात्रा, ताली सम एवं आवर्तन।