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Monday, April 27, 2020

राग बिहाग का परिचय

वादी: 
संवादी: नि
थाट: BILAWAL
आरोह: ऩिसागमपनिसां
अवरोह: सांनिधप म॓पगमग रेसा
पकड़: पम॓गमग रेसा
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: रात्रि का प्रथम प्रहर
विशेष: सदृश- यमन कल्याण। तीनो सप्तक में चलन। विवादी-म॓; वर्जित- आरोह में रे ध;

Thursday, February 27, 2020

राग बिहाग एवं राग खमाज में तुलना

राग बिहाग एवं राग खमाज
समानता :
  • दोनों रागों में ग वादी और नी सम्वादी माना गया है। 
  • दोनों राग रात्रि के प्रथम प्रहार में गाये जाते हैं। 
  • दोनों के अवरोह में सभी शुद्ध स्वर लगते हैं। 
  • दोनों का अवरोह सम्पूर्ण है। 
विभिन्नता :
राग बिहाग  राग  खमाज
यह बिलावल  थाट का राग है। यह राग खमाज थाट का राग है। 
यह आश्रय राग नहीं है। यह राग खमाज थाट का आश्रय राग है। 
यह औडव-सम्पूर्ण जाति का राग है। यह राग षाडव - सम्पूर्ण जाति का राग है। 
बिहाग में तीव्र मध्यम का प्रयोग बहुत अधिक होने लगा है जबकि यह विवादी स्वर है। इस राग में ख्याल और ध्रुपद गाते समय किसी विवादी स्वर का प्रयोग नहीं होता है। 
इस राग में ठुमरी नहीं गाये जाते हैं। इस राग में ठुमरी गायी जाती है।