जाति - इससे राग में प्रयोग किये जानेवाले स्वरों की संख्या का ज्ञान होता है। किसी भी राग में कम से कम ५ और अधिक से अधिक ७ स्वर प्रयोग किये जाते हैं। स्वरों की संख्या की दृस्टि से मुख्य तीन प्रकार के राग हो सकते हैं:
- ५ स्वर वाले राग - ऐसे रागों की जाति को औडव कहा जाता है।
- ६ स्वर वाले राग - ऐसे रागों की जाति को षाडव कहा जाता है।
- ७ स्वर वाले राग - ऐसे रागों की जाति को सम्पूर्ण कहा जाता है।
राग में आरोह एवं अवरोह दोनों आवश्यक होते हैं। कुछ रागों में यह देखा जाता है की आरोह एवं अवरोह में लगने वाले स्वरों की संख्या सामान नहीं होती। जैसे - राग खमाज के आरोह में ६ और अवरोह में ७ स्वर प्रयोग किये जाते हैं। इस तरह अन्य राग भी हैं, जिनमे यदि आरोह में ५ स्वर प्रयोग किये जाते हैं तो अवरोह में ६ अथवा ७ स्वर प्रयोग किये जाते हैं।
इस प्रकार रागों की तीन जातियों को मिलकर ३x ३=९ जातियां होती हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं:
- औडव - औडव : आरोह एवं अवरोह दोनों में ५-५ स्वर।
- औडव - षाडव : आरोह में ५ एवं अवरोह में ६ स्वर।
- औडव - सम्पूर्ण : आरोह में ५ एवं अवरोह में ७ स्वर।
- षाडव - षाडव : आरोह एवं अवरोह दोनों में ६-६ स्वर।
- षाडव - औडव : आरोह में ६ एवं अवरोह में ५ स्वर।
- षाडव - सम्पूर्ण : आरोह में ६ एवं अवरोह में ७ स्वर।
- सम्पूर्ण - सम्पूर्ण : आरोह एवं अवरोह दोनों में ७-७ स्वर।
- सम्पूर्ण - षाडव : आरोह में ७ एवं अवरोह में ६ स्वर।
- सम्पूर्ण - औडव : आरोह में ७ एवं अवरोह में ५ स्वर।
Jaati gayan kis yugh me tha ...
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