1. संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके, स्वर कहलाता है।
2. ध्वनियों में हम प्राय: दो भेद रखते हैं, जिनमें से एक को 'स्वर' और दूसरे को 'कोलाहल' या 'रव' कहते हैं। कुछ लोग बातचीत की ध्वनि को भी एक भेद मानते हैं। साधारणत: जब कोई ध्वनि नियमित और आवर्त-कम्पनों से मिलकर उत्पन्न होती है, तो उसे 'स्वर' कहते हैं। इसके विपरीत जब कम्पन्न अनियमित तथा पेचीदे या मिश्रित हों तो उस ध्वनि को 'कोलाहल' कहते हैं। बोलचाल की भाषा की ध्वनि को स्वर और कोलाहल के बीच की श्रेणी में रखा जाता है। संक्षेप में यह समझिए की नियमित आन्दोलन संख्यावली ध्वनि 'स्वर' कहलाती है।
3. संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके, स्वर कहलाता है।
भारतीय संगीत में सात स्वर (notes of the scale) हैं, जिनके नाम हैं - षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत व निषाद, जिनके संक्षिप्त रूप सा, रे ग, म, प, ध और नि हैं।
2. ध्वनियों में हम प्राय: दो भेद रखते हैं, जिनमें से एक को 'स्वर' और दूसरे को 'कोलाहल' या 'रव' कहते हैं। कुछ लोग बातचीत की ध्वनि को भी एक भेद मानते हैं। साधारणत: जब कोई ध्वनि नियमित और आवर्त-कम्पनों से मिलकर उत्पन्न होती है, तो उसे 'स्वर' कहते हैं। इसके विपरीत जब कम्पन्न अनियमित तथा पेचीदे या मिश्रित हों तो उस ध्वनि को 'कोलाहल' कहते हैं। बोलचाल की भाषा की ध्वनि को स्वर और कोलाहल के बीच की श्रेणी में रखा जाता है। संक्षेप में यह समझिए की नियमित आन्दोलन संख्यावली ध्वनि 'स्वर' कहलाती है।
3. संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके, स्वर कहलाता है।
भारतीय संगीत में सात स्वर (notes of the scale) हैं, जिनके नाम हैं - षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत व निषाद, जिनके संक्षिप्त रूप सा, रे ग, म, प, ध और नि हैं।
ये दो प्रकार के होते हैं -
शुद्ध स्वर - सा, रे, ग, म, प ध, नि
विकृत स्वर - शुद्ध स्वरों में सा और प अचल होते हैं पर शेष 5 के दो-दो रूप होते हैं। अत: इनके दूसरे रूप को तिव्र एवं कोमल नाम से जाना जाता है। इन्हें विकृत स्वर के नाम से भी जाना जाता है।
शुद्ध स्वर - सा, रे, ग, म, प ध, नि
विकृत स्वर - शुद्ध स्वरों में सा और प अचल होते हैं पर शेष 5 के दो-दो रूप होते हैं। अत: इनके दूसरे रूप को तिव्र एवं कोमल नाम से जाना जाता है। इन्हें विकृत स्वर के नाम से भी जाना जाता है।
Welcome
ReplyDeleteThanking you soon much
ReplyDelete