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Friday, March 27, 2020

तान

तान
येन विस्तार्यते रागः स तानः कथ्यते बुधैः । 
शुद्धकूटविभेदेन द्विविधास्ते समीरिताः  

गाने या बजाने में जो सरगम नियमित रूप से ताल में गाये-बजाये जाते हैं, उन्हीं तानों और सरगमों को सितार पर दिरदादिर दारा आदि बोल के सहारे बजाने से तोड़े बनते हैं।  तान दो तरह के होते हैं- शुद्ध तान और कूट तान।


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