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Thursday, February 27, 2020

राग बिहाग एवं राग खमाज में तुलना

राग बिहाग एवं राग खमाज
समानता :
  • दोनों रागों में ग वादी और नी सम्वादी माना गया है। 
  • दोनों राग रात्रि के प्रथम प्रहार में गाये जाते हैं। 
  • दोनों के अवरोह में सभी शुद्ध स्वर लगते हैं। 
  • दोनों का अवरोह सम्पूर्ण है। 
विभिन्नता :
राग बिहाग  राग  खमाज
यह बिलावल  थाट का राग है। यह राग खमाज थाट का राग है। 
यह आश्रय राग नहीं है। यह राग खमाज थाट का आश्रय राग है। 
यह औडव-सम्पूर्ण जाति का राग है। यह राग षाडव - सम्पूर्ण जाति का राग है। 
बिहाग में तीव्र मध्यम का प्रयोग बहुत अधिक होने लगा है जबकि यह विवादी स्वर है। इस राग में ख्याल और ध्रुपद गाते समय किसी विवादी स्वर का प्रयोग नहीं होता है। 
इस राग में ठुमरी नहीं गाये जाते हैं। इस राग में ठुमरी गायी जाती है। 

जाति किसे कहते हैं? जातियां कितने प्रकार की हैं, समझाइये।

जाति - इससे राग में प्रयोग किये जानेवाले स्वरों की संख्या का ज्ञान होता है।  किसी भी राग में कम से कम ५ और अधिक से अधिक ७ स्वर प्रयोग किये जाते हैं। स्वरों की संख्या की दृस्टि से मुख्य तीन प्रकार के राग हो सकते हैं:

  • ५ स्वर वाले राग - ऐसे रागों की जाति को औडव कहा जाता है। 
  • ६ स्वर वाले राग - ऐसे रागों की जाति को षाडव कहा जाता है। 
  • ७ स्वर वाले राग - ऐसे रागों की जाति को सम्पूर्ण कहा जाता है। 
राग में आरोह एवं अवरोह दोनों आवश्यक होते हैं।  कुछ रागों में यह देखा जाता है की आरोह एवं अवरोह में लगने वाले स्वरों की संख्या सामान नहीं होती।  जैसे - राग खमाज के आरोह में ६ और अवरोह में ७ स्वर प्रयोग किये जाते हैं।  इस तरह अन्य राग भी हैं, जिनमे यदि आरोह में ५ स्वर प्रयोग किये जाते हैं तो अवरोह में ६ अथवा ७ स्वर प्रयोग किये जाते हैं।  

इस प्रकार रागों की तीन जातियों को मिलकर ३x ३=९ जातियां होती हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं:
  1. औडव - औडव : आरोह एवं अवरोह दोनों में ५-५ स्वर। 
  2. औडव - षाडव  : आरोह में ५ एवं अवरोह में ६ स्वर। 
  3. औडव - सम्पूर्ण : आरोह में ५ एवं अवरोह में ७ स्वर। 
  4. षाडव - षाडव   : आरोह एवं अवरोह दोनों में ६-६ स्वर। 
  5. षाडव - औडव : आरोह में ६ एवं अवरोह में ५ स्वर। 
  6. षाडव - सम्पूर्ण : आरोह में ६ एवं अवरोह में ७ स्वर। 
  7. सम्पूर्ण - सम्पूर्ण : आरोह एवं अवरोह दोनों में ७-७ स्वर। 
  8. सम्पूर्ण - षाडव : आरोह में ७ एवं अवरोह में ६ स्वर। 
  9. सम्पूर्ण - औडव : आरोह में ७ एवं अवरोह में ५ स्वर।  

राग किसे कहते हैं? राग के नियम अथवा लक्षण बताइये।

राग - स्वरों की वह सुन्दर रचना जो कानों को अच्छी लगे उसे राग कहते हैं. आजकल राग गायन हीं प्रचार में है. संगीत रत्नाकर में राग की परिभाषा इस प्रकार दी गयी है
'स्वर और वर्ण से विभूषित ध्वनि जो मनुष्य के मन का रंजन करे, राग कहलाता है'

राग में निम्न बातों का होना  आवश्यक है:
  • राग के नियम - प्रत्येक राग में रञ्जकता अर्थात मधुरता आवश्यक है, अर्थात कानों को अच्छा लगना आवश्यक है। 
  • राग में कम से कम ५ और अधिक से अधिक ७ स्वर होने चाहिए। 
  • प्रत्येक राग किसी न किसी थाट  से उत्पन्न माना गया है। 
  • किसी भी राग में षडज अर्थात सा कभी-भी वर्जित नहीं होता, क्यूंकि यह सप्तक का आधार स्वर होता है। 
  • प्रत्येक राग में म और प में से कम से कम एक स्वर अवश्य होना चाहिए।  दोनों स्वर एक साथ वर्जित नहीं हो सकते।  यदि पंचम के साथ शुद्ध म भी वर्जित हो तो तीव्र-म अवश्य रहना चाहिए। 
  • प्रत्येक राग में आरोह अवरोह, वादी-सम्वादी, पकड़, समय आदि होना चाहिए। 
  • किसी भी राग में एक स्वर का दोनों रूप अर्थात शुद्ध-कोमल एक साथ नहीं प्रयोग होना चाहिए।