वादी: ग
संवादी: ध
थाट: KHAMAJ
आरोह: सा रेमप ध धनि॒प धसां
अवरोह: सांनि॒ध पधम प ग म-सा
पकड़: रेमपध धनि॒प धम प ग म-सा
रागांग: उत्तरांग
जाति: SAMPURN-SHADAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: उभय निषाद। वर्जित - अवरोह में ऋषभ। न्यास - सा ग म उत्तरांग में आरोह में शुद्ध निषाद एवं अवरोह में कोमल निषाद प्रयोग होता है।
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