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Sunday, February 10, 2019

राग वृन्दावनी सारंग का परिचय

राग वृन्दावनी सारंग का परिचय
वर्ज्य करे धैवत गंधार, गावत काफी अंग |
दो निषाद रे प संवाद, है वृन्दावनी सारंग ||

थाट - काफी                     जाति - औडव औडव
वादी - रे                           संवादी - प
आरोह - ऩि सा रे म प नि सां                                 
अवरोह - सां नि प म रे सा
पकड़ - रे म प नि प, म रे, ऩि सा
समय - मध्यान्ह काल

न्यास के स्वर - सा, रे, प
सम्प्रकृति राग - सूर मल्हार

मतभेद - स्वर की दृष्टि से यह राग खमाज थाट जन्य माना जा सकता है, किन्तु स्वरुप की दृष्टि से इसे काफी थाट का राग मानना सर्वथा उचित है.

विशेषता

  1. इसके अतिरिक्त सारंग के अन्य प्रकार हैं - शुद्ध सारंग, मियाँ की सारंग, बड़हंस की सारंग, सामंत सारंग
  2. इसके आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल नि का प्रयोग किया जाता है.
  3. ऐसा कहा जाता है की इस राग की रचना वृन्दावन में प्रचलित एक लोकगीत पर आधारित है.
  4. इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल और तराना आदि गाये जाते हैं.


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