प्रयाग संगीत समिति, इलाहबाद का पाठ्यक्रम.
षष्ठम वर्ष/संगीत प्रभाकर (Sixth Year/Sangeet Prabhakar)
क्रियात्मक परीक्षा २०० अंकों की और दो प्रश्न-पत्र ५०-५० अंकों के. पिछले वर्षों का पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है.
क्रियात्मक (Practical)
१. राग पहचान में निपुणता और अल्पत्व-बहुत्व, तिरोभाव-आविर्भाव
और समता-विभिन्नता दिखाने के लिए पूर्व वर्षों के सभी रागों का प्रयोग हो सकता है,
इसलिए सभी का विशेष विस्तृत अध्ययन आवश्यक है.
२. गाने में विशेष तैयारी, आलाप-तान में सफाई महफिल के गाने
में निपुणता.
३. ठप्पा, ठुमरी, तिरवट और चतुरंग गीतों का परिचय, इनमे से
किन्हीं दो गीतों को जानना आवश्यक है.
४. रामकली, मियाँ मल्हार, परज, बसंती, राग श्री, पूरिया
धनाश्री, ललित, शुद्ध कल्याण, देशी और मालगुन्जी रागों में एक-एक बड़ा-ख्याल और
छोटा ख्याल पूर्ण तैयारी के साथ. किन्हीं दो रागों में एक-एक धमार, एक-एक ध्रुपद
और एक-एक तराना जानना आवश्यक है. प्रथम वर्ष से षष्ठम वर्ष एस के रागों में से
किसी एक चतुरंग.
५. काफी, पीलू, पहाड़ी, झिंझोटी, भैरवी तथा खमाज इनमे से
किन्हीं दो रागों में दो ठुमरी.
६. लक्ष्मी ताल, ब्रह्म ताल तथा रूद्र ताल – इनका पूर्ण परिचय
तथा इनको पिछली लयकारियों में हाथ से ताली देकर लिखने का अभ्यास.
प्रथम प्रश्नपत्र - शास्त्र (First Paper - Theory)
१. प्रथम से छठे वर्ष के सभी रागों का विस्तृत, तुलनात्मक और सूक्ष्म
परिचय. उनके आलाप-तान आदि स्वरलिपि में लिखने का पूर्ण अभ्यास. समप्रकृति रागों
में समता-विभिन्नता दिखाना.
२. विभिन्न राओं में अल्पत्व-बहुत्व, अन्य रागों की छाया आदि
दिखाते हुए आलाप-तान स्वरलिपि में लिखना.
३. कठिन लिखित स्वर समूहों द्वारा राग पहचानना.
४. दिए हुए रागों में नए सरगम बनाना. दी हुई कविता को राग में
ताल-बद्ध करने का ज्ञान.
५. गीतों की स्वरलिपि लिखना, धमार, ध्रुपद को दुगुन, तिगुन, चौगुन,
और आड़ आदि लयकारियों में लिखना.
६. ताल के ठेके को विभिन्न लयकारियों में लिखना.
७. कुछ लेख रेज – जीवन में संगीत की आवश्यकता, महफ़िल की गायकी,
शास्त्रीय संगीत का जनता पर प्रभाव, रेडियो और सिनेमा-संगीत, पृष्ठ संगीत (background music), हिन्दुस्तानी संगीत और
वृंदवादन, हिन्दुस्तानी संगीत की विशेषताये, स्वर का लगाव, संगीत और स्वरलिपि
इत्यादि.
८. हस्सू-हद्दू खां, फैयाज़ खां, अब्दुल करीम खां, बड़े गुलाम
अली और ओंकारनाथ ठाकुर का जीवन परिचय और कार्य.
द्वितीय प्रश्नपत्र – शुद्ध शास्त्र (Second Paper - Theory)
१. पिछले सभी वर्षों के शास्त्र सम्बंधित विषयों का सूक्ष्म
तथा विस्तृत अध्ययन.
२. मध्य कालीन तथा आधुनिक संगीतज्ञों के स्वर स्थानों की
आन्दोलन-संख्याओं की सहायता तथा तार की लम्बाई की सहायता से तुलना. पाश्चात्य
स्वर-सप्तक की रचना, सरल गुणान्तर और शुभ स्वर संवाद के नियम, पाश्चात्य स्वरों की
आन्दोलन-संख्या, हिन्दुस्तानी स्वरों में स्वर संवाद, कर्नाटकी ताल पद्धति और
हिन्दुस्तानी ताल पद्धति का तुलनात्मक अध्ययन. संगीत का संक्षिप्त क्रमिक इतिहास,
ग्राम, मूर्छना (अर्थ में क्रमिक परिवर्तन), मूर्छना और आधुनिक थाट, कलावंत, पंडित,
नायक, वाग्गेयकार, बानी (खंडार, डागुर, नौहार, गोबरहार), गीति, गीति के प्रकार,
गमक के विविध प्रकार, हिन्दुस्तानी वाद्यों के विविध प्रकार. (तत, अवनद्ध, घन, सुषरी)
३. निम्नलिखित विषयों का ज्ञान – तानपुरे से उत्पन्न होने वाले
सहायक नाद, पाश्चात्य सच्चा स्वर-सप्तक (Diatonic Scale) को (Equally Tempered Scale) में परिवर्तित होने का कारन
व विवरण, मेजर, माईनर और सेमिटोन, पाश्चात्य आधुनिक स्वरों के गुण-दोष, हारमोनियम पर
एक आलोचनात्मक दृष्टि, तानपुरे से निकलने वाले स्वरों के साथ हमारे आधुनिक
स्वर-स्थानों का मिलान. प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक राग-वर्गीकरण, उनका
महत्त्व, और उनके विभिन्न प्रकारों को पारस्परिक तुलना, संगीत-कला और शास्त्र का
पारस्परिक सम्बन्ध. भरत की श्रुतियाँ सामान थीं अथवा भिन्न थीं-इस पर विभिन्न
विद्वानों के विचार और तर्क. सारणा चतुष्टई का अध्ययन, उत्तर भारतीय संगीत को ‘संगीत
पारिजात’ की दें, हिन्दुस्तानी और कर्नाटकी संगीत-पद्धतियों की तुलना, उनके स्वर,
ताल और रागों का मिलन करते हुए पाश्चात्य स्वरलिपि पद्धति का साधारण ज्ञान, संगीत
के घरानों का संक्षिप्त ज्ञान, रत्नाकर के दस विधि राग वर्गीकरण-भाषा, विभाषा
इत्यादि.
४. भातखंडे और विष्णु दिगंबर स्वर-लिपियों का तुलनात्मक अध्ययन
और उनकी त्रुटी और उन्नति के सुझाव.
५. लेख-भावी संगीत के समुचित निर्माण के लिए सुझाव,
हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति के मुख्या सिद्धांत. प्राचीन और आधुनिक प्रसिद्द
संगीतज्ञों का परिचय तथा उनकी शैली. संगीत का मानव जीवन पर प्रभाव, संगीत और चित्त
(Mind and Music) स्कूलों द्वारा संगीत शिक्षा की त्रुटियों और उन्नति के सुझाव, संगीत और स्वर
साधन.
Kya is course ko karne ke bad b.ed ya S tet ka exam nhi dena hoga.... High school me going ke liye
ReplyDeleteNhi.
DeleteSrif isi degree se kisi bhi sate mae government job le sakte ho
Es course ke baad apko tet dena v jaruri tabhi aap job kar sakte ho
DeleteSir mai graduation कर चुका हु मुझे प्रभाकर करना h । तो मुझे गाइड करे की मैं क्या करू ,मैं तबला सीखना चाहता हु
DeleteYeh course kis kis degree ka equivalent h...
ReplyDeletePlease..... Reply me
ReplyDeleteKya is 6th year course me
Inter....Graduation... B.ed (in music) sab samil h...
Inter & Graduation
DeleteHigh school me jane ke liye....In course ke bad bhi koi degree chahiye...
ReplyDeleteAfter 6th year you can go
DeleteHello sir
ReplyDeleteहम संगीत से इसबार third year hai क्या मुझे sixth year के बाद teacher के लिए ctet करना पड़ेगा
ReplyDeleteNhi...
DeleteSir please reply kr dijiyega
ReplyDeleteइस नम्बर पे 8858915118 aur mera gmail, rohitkumarpd8822@gmail.com hai is pr reply kr dijiyega apki सहायता चाहिए
ReplyDeleteSir reply please
ReplyDelete5मिनट time निकाल कर sir please reply kr दीजियेगा
ReplyDeleteSir prabhakar is also called bachelor degree?
ReplyDeletePrabhkar music 7th unsolved paper provide me please
ReplyDeleteSir me graduation karchuki hu 2015 main kya abhi Sangeet prabhakar karne ke baad job set he ya aur bhi koi degree Leni padegi
ReplyDeleteTet kro pyle
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